Last modified on 19 मार्च 2015, at 18:18

कोयला बाई बोले / पँवारी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:18, 19 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कोयला बाई बोले
जंगल मऽ कोयल बाई बोले
पीहू रे पीहू करअ् रही।
मण्डवा मऽ लाड़ी बाई बोले
बाबुल रे बाबुल करअ् रही।
ओका बाबुल खऽ देओ रे बुलाय
साँवल वर ढूँढ लाहे।।