Last modified on 27 मई 2016, at 00:13

कौनी रे मुदैय्यां जिनगी के सुख सब / गंगा प्रसाद राव

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 27 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गंगा प्रसाद राव |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कौनी रे मुदैय्यां जिनगी के सुख सब, छीनी छानी लेलकै सपनमा हो
हमरोॅ मड़ैय्या धांसी धूसी देलकै, आपनोॅ बनैलकै भवनमा हो
जोतलोॅ जमीनमा छीनी छानी लेलकै, काटी सभ्भे लेलकै धनमा हो
मोटका मोटैलै घरे बैठी-बैठी, सूखी-साखी गेलै हमरोॅ तनमा हो
मोटका के देहोॅ पर रेशमी दुपट्टा, सोना रकम शोभै छै बरनमा हो
हमरोॅ लंगोटी बाबू के ही देलोॅ, ढांकै छै कमर आरो तनमा हो
बिलखै छै हमरोॅ बेटा आरो बेटी, हम्में हेनोॅ भारत के जनमा हो
केना केॅ बदलतै भाग अंग देश के, केना केॅ हरसतै किसनमा हो
खेतोॅ में उपजैबै भाला आरो-बरछी, बाद में उपजबै धनमा हो
भाला आरु बरछी के जोरोॅ पर, लानी लेबै धनमा अंगनमा हो
‘गंगा’ कवि झूमी-झूमी यही गाबै आवेॅ, मिलि जुलि करोॅ ई जतनमा हो
धरती केॅ जोतैवाला धरती के बेटा, कानतै मंजूर ने किसनमा हो