खाली अपने सुर नै तानोॅ
कहिया होतै दिवस सुहानोॅ?
लोग बुझेॅ कि जगलोॅ कोय छै
कुछ गल्लोॅ केॅ हेनोॅ टानोॅ।
केना ई बाजार चलै छै
आलू-बैगन वड़लोॅ-कानोॅ।
लोग प्यास सेॅ मरलोॅ जाय छै
पथरोॅ पर तोंय कुइयाँ खानोॅ।
बिना सुदिन के कुछ नै मिलथौं
कत्तोॅ उछलोॅ, कूदोॅ फानोॅ।