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सारस्वत वाणी / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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सारस्वत वाणी
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रचनाकार | नन्दलाल यादव 'सारस्वत' |
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प्रकाशक | समीक्षा प्रकाशन |
वर्ष | 2015 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 47 |
ISBN | 978-93-84722-70-8 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- देव कहाँ छै? के जानै छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- शासक सब ठो जादूगर / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- की करलौ नादानी मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- डोॅर लगै छै नीनोॅ मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- मत बूझोॅ कि चोक छिकै ई / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- कारोॅ बादल ढलमल छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- भूत-प्रेत के घोॅर लगै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- आबेॅ तेॅ हेनोॅ आलम छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जुगनू भी इंजोर करै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- पथलो काँही खैलोॅ जाय छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- हमरोॅ कहलोॅ तोहें मानोॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- ठहरै वास्तेॅ की घिघियाना / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- कुछ तेॅ बस भगवान लगै छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- शहरे हेनोॅ आबेॅ गाँव / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- दुख के बोझ बुढ़ारी पर / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जे नद्दी छेलै खलखल / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- दुनियाँ सपना ज्ञानी लेॅ तेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- प्रेम भले जीवन के मंजिल / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- खाली अपने सुर नै तानोॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- दुख लगै छै पर्वत रं / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- खूब मतैलोॅ सावन छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जेकरोॅ साथ खेवैया छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- कदम-कदम पर ठोकर छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- बाजै छै करकोइयां-ढोल / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- है की? कब्र सजैलोॅ जाय / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- रातेॅ कैन्है डरावै छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- दुख केॅ खो, लोरे केॅ पी / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- वही लोग छै घातोॅ मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- अपने लोग पराया लागै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- बचलोॅ भेद मिटैलोॅ जाय / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जे सबकेॅ संहारेॅ पारेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जेकरा जे लत छै, लत छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- ग्रहण लागलोॅ चन्दा छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- चाँद-चाँदनी आबोॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- तेज कहाँ छै दानी मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- न्याय के रुकलोॅ साँसा छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- सब लगलोॅ छै दावोॅ मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- केकरो जग ई फूल लगै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
- जे कुछ देखौ बाहर मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'