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दुनियाँ सपना ज्ञानी लेॅ तेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

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दुनियाँ सपना ज्ञानी लेॅ तेॅ
घोॅर गृहस्थी नानी लेॅ तेॅ।

जिनगी तक भी दै देलेॅ छै
कुछुवो ने छै दानी लेॅ तेॅ।

नद्दी-पोखर सब्भे उत्तम
जों पानी केॅ छानी लेॅ तेॅ।

कना कोय धोखा ठो खैतै
जों दुश्मन केॅ जानी लेॅ तेॅ।

दुख हौल्कोॅ तेॅ होइये जाय छै
जी भर खुब्बे कानी लेॅ तेॅ।

सौंसे दुनियाँ नौड़ी नाँखि
राजा केरोॅ रानी लेॅ तेॅ।

सारस्वतो नभ छानेॅ पारेॅ
अगर मनोॅ मेॅ ठानी लेॅ तेॅ।