Last modified on 24 फ़रवरी 2016, at 16:29

केकरो जग ई फूल लगै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

केकरौ जग ई फूल लगै
केकरौ तेॅ बस धूल लगै।

ठंडा-ठंडा कोय नै बोलै
सब गेलै छै ‘कूल’ लगै।

कतेॅ दिन खटिया ऊ चलतै
जेकरोॅ टुटलोॅ चूल लगै।

दुख मेॅ सब रिश्ता केॅ खौजे
सुख मेॅ रिश्ता भूल लगै।

हेनोॅ कैन्हें नाव हिलै छै
कुछ गड़बड़ मस्तूल लगै।