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दुख केॅ खो, लोरे केॅ पी / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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दुख केॅ खो, लोरे केॅ पी
की करबे, हेन्है केॅ जी।
कोय नै पुछवैया ऐतौ
फटलोॅ जिनगी छौ तेॅ सी।
कौआ केॅ की लेना छै सेॅ
सुग्गा बोलै टें, टें, टी।
बैमानोॅ के चलती देखोॅ
पाँचो अंगुरी घीये-घी।
जे जिनगी मेॅ खाली स्वारथ
उ जिनगी केॅ दुर-दुर छी।
सारस्वते तेॅ आ-ई बोलै
नुनुआ बोलै ए, बी, सी।