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जेकरा जे लत छै, लत छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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जेकरा जे लत छै, लत छै
सबसेॅ पहिलें इज्जत छै।
ओकरोॅ गोड़ सफलता चूमै
जेकरोॅ हाथें मेहनत छै।
जे रं के मँहगाई बढ़लोॅ
जीत्तोॅ रहवोॅ आफत छै।
जेकरा देखोॅ ओकरे सूरत
टेस लहू रं रत-रत छै।
जेकरा खाली मौज सेॅ मतलब
ओकरोॅ जिनगी बेरथ छै।
सारस्वतो के वाणी सचमुच
ज्यों पूजा में अक्षत छै।