Last modified on 24 फ़रवरी 2016, at 16:17

आबेॅ तेॅ हेनोॅ आलम छै / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

आबेॅ तेॅ हेनोॅ आलम छै
काँटोॅ-कूसोॅ की बमबम छै।

कल की होतै? के देखै छै
इखनी तेॅ बारिश झमझम छै।

सुख तेॅ चोर बनी केॅ नुकलै
दुक्खोॅ के फेरा खमखम छै।

सौ मेॅ टू टा हेनोॅ जेकरोॅ
चाँदी केरोॅ घर चमचम छै।

वैठां सत्य-अहिंसा निश्चित
जैठां गाँधी के आश्रम छै।

सारस्वतोॅ के योग लगैथैं
की रं दुनियां ठो गमगम छै।