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प्रेम भले जीवन के मंजिल / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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प्रेम भले जीवन के मंजिल
प्रेम निभैवोॅ लेकिन मुश्किल।
वही प्रेम के स्वाद बुझलकै
जीवन भर जे जललै तिल-तिल।
जौनें रुकवोॅ जानलकै नै
ओकरै होतै सब कुछ हासिल।
जे अपनोॅ साँसो सें फक-फक
हेनो नै कमजोर रखोॅ दिल।
जों चाहे छौ मान-प्रतिष्ठा
बात करोॅ नै कुछुवो फाजिल।
जे सब्भे के हित चाहै छै
सारस्वतो छै वैमेॅ शामिल।