कदम-कदम पर ठोकर छै
सबके हाथ में पत्थर छै।
माथा पर आकाश रखी ला
बरसै वाला सागर छै।
सौंसे ठो जग औला-बौला
तहियो चुप-चुप शंकर छै।
जे हाथोॅ मेॅ कलम शोभतै
ऊ हाथोॅ मॅे खंजर छै।
सारस्वते की कहते अपनोॅ
एक कहानी घर-घर छै।
कदम-कदम पर ठोकर छै
सबके हाथ में पत्थर छै।
माथा पर आकाश रखी ला
बरसै वाला सागर छै।
सौंसे ठो जग औला-बौला
तहियो चुप-चुप शंकर छै।
जे हाथोॅ मेॅ कलम शोभतै
ऊ हाथोॅ मॅे खंजर छै।
सारस्वते की कहते अपनोॅ
एक कहानी घर-घर छै।