भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जे सबकेॅ संहारेॅ पारेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
Kavita Kosh से
जे सबकेॅ संहारेॅ पारेॅ
एक वही तेॅ तारेॅ पारेॅ।
आह तलक नै ऐतै कहियो
जौनें जी केॅ जारेॅ पारेॅ।
राजनीति तेॅ विपदा हेनोॅ
के विपदा केॅ टारेॅ पारेॅ।
लूट-खसोटोॅ के चलती मेॅ
जौनें जत्तेॅ मारेॅ पारेॅ।
कत्तोॅ बरियोॅ-अन्यायी छै
सारस्वतोॅ नै हारेॅ पारेॅ।