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मत बूझोॅ कि चोक छिकै ई / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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मत बूझोॅ कि चोक छिकै ई
जतरा परकोॅ टोक छिकै ई।
एक गरीबोॅ के जिनगी की?
विधवा केरोॅ शोक छिकै ई।
तोरोॅ अनुशासन के मतलब
हँसी-खुशी पर रोक छिकै ई।
सच कहबोॅ-सुनबोॅ जानी लेॅ
तलवारोॅ के नोक छिकै ई।
मीन-मेख नै करियोॅ धरियो
सारस्वतोॅ के लोक छिकै ई।