Last modified on 17 फ़रवरी 2017, at 13:23

गति ने घुमाया / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:23, 17 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवबहादुर सिंह भदौरिया |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे पावों को
पकड़ा गति ने, घुमाया
तीन सौ पैंसठ चक्रों के बाद
खड़ा कर दिया नदी-तीरे;
यहाँ:
माटी का दिया नन्हा
धार में बहता-
धीरे-धीरे।