Last modified on 5 जुलाई 2016, at 12:19

गरीबां की मर आगी / रणवीर सिंह दहिया

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:19, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणवीर सिंह दहिया |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

झांसी पर जब अंग्रेज अपना राज जमा लेते हैं तो लोगों की दिक्कतें कम होनें की बजाय बढ़ने लगती हैं। अंग्रेजों ने वायदे किये थे कि झांसी का राज उनके हाथ आने के बाद प्रशासन बेहतर हो जायेगा। लोगों के जीवन में सुधार आयेगा। यदि लोग फिरंगियों का साथ देंगे तो उनके संकट के दिन खत्म जरूर होंगे। मगर ज्यों-ज्यों फिरंगियों का कब्जा राज पर बढ़ता गया तो आम जनता के दुख दरद बढ़ने लगे। अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ने लगा।
मगर झांसी की जनता का मनोबल नहीं कुचला जा सका था। रानी लक्ष्मी बाई की बड़े उम्र के गंगाधर राव से शादी हो गई थी और युवावस्था में कदम रखते ही विधवा हो जाना, अंग्रेजों के लिए दत्तक पुत्रा के मामले को खारिज करते हुए झांसी पर अपना राज कायम करना ऐसी घटनाएं थी जो झांसी की जनता देख रही थी। लक्ष्मी बाई की अंग्रेजों को ललकारने की तैयारियां शुरू हो गई थी। ऐसे में एक दिन पूरन झलकारी बाई आपस मंे बाते करते हैं। फिरंगियों के राज पर चर्चा होती है तो पूरन फिरंगियों को सम्बोधन करके उनके राज के बारे में क्या कहता है भलाः

गरीबां की मर आगी फिरंगी तेरे राज मैं॥
रैहवण नै मकान कड़ै खावण नै नाज नहीं
पीवण नै पानी कड़ै बीमारी का इलाज नहीं
म्हंगाई हमनै खागी, फिरंगी तेरे राज मैं॥
अकाल पड़गे लगान बढ़े हुई घणी लाचारी सै
बिन पानी मरे तिसाये गोदाम भरया सरकारी सै
जनता घणा दुख पागी, फिरंगी तेरे राज मैं॥
महिलावां पै अत्याचार बढ़ै आंख थारी मिंचगी
किसानां के ऊपर क्यों तलवार थारी खिंचगी
मक्कारी सारे कै छागी, फिरंगी तेरे राज मैं॥
शाम, दाम, दण्ड, भेद डेमोक्रेसी के हथियार थे
जिसे सोचे ना पाये उसे घणे झूठे प्रचार थे
रणबीर बेईमानी आगी, फिरंगी तेरे राज मैं॥