Last modified on 18 जून 2016, at 01:03

गीत 2 / नौवाँ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:03, 18 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेता मुद्‍गलपुरी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुनोॅ परन्तप उत्तम वाणी
श्रद्धाहीन हमरा नै पावै कहलावै अज्ञानी।

ज्ञान पूर्ण विज्ञान युक्त छिक, सकल ज्ञान के राजा
अति पवित्र छिक, अति उत्तम गुण गोपनीय नित ताजा
जे जानल गृह्यतम रहस्य के से प्राणी विज्ञानी
सुनोॅ परन्तप उत्तम वाणी।

साधन में जे अधिक सुगम छै, अरु प्रत्यक्ष फलदायक
धर्मयुक्त छै, अविनाशी छै, सब विधि धारण लायक
हय धर्मों से रहित पुरुष, हमरा नै पावै मानी
सुनोॅ परन्तप उत्तम वाणी।

मृत्यु रूप संसार चक्र में परै जीव भरमावै
सकल साधना तजै मनुष अरु दुर्लभ जन्म गमावै
से चौरासी लाख में भटकै, मोह ग्रसित अज्ञानी
सुनोॅ परन्तप उत्तम वाणी।