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गीत 9 / दशम अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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हे अर्जुन सृष्टि के आदि-मध्य अंत हम ही छी
विद्या में अध्यातम, आतम तत्त्व प्रकाशक हम छी।

शास्त्रार्थ में हम निर्णय छी
द्वंद्व समास हम्हीं छी,
अक्षर में अ कार
काल में अक्ष्य काल हम्हीं छी
हम विराट सब दिश मुख वाला, हम धारक-पोषक छी।

हम सब जग के
नाश करै वाला मृत्यु छी जानॉे
हम सब जग के उत्पन्न के
उत्पत्ति हेतु छी मानोॅ
वाक-कीर्ति-श्री-स्मृति-मेधा-धृति क्षमा हम ही छी।

हम गायन के लायक श्रुति में
वृहत्साम छी जानोॅ,
छन्दोॅ में हम गायत्री छी
मस में अगहन मानोॅ,
ऋतु मं हम ऋतुपति वसंत छी, मह-मह जगत करै छी
हे अर्जन सृष्टि के आदि-मध्य-अंत हम ही छी।