Last modified on 3 अगस्त 2015, at 13:50

घड़ी की सुईयां/ घनश्याम चन्द्र गुप्त

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:50, 3 अगस्त 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घड़ी की सुईयां निर्विकार चलती हैं
न तुमसे कुछ प्रयोजन, न मुझसे
श्वासों का क्रम गिनती पूरी होने तक निर्बाध
याम पर याम, याम पर याम
महाकाल की ओर इंगित करती हैं सुईयां घड़ी की