चरन-पादुका नेह सों पूजत नित अभिराम।
राम-प्रेम-मूरति भरत निवसत नंदीग्राम॥
मन अखंड स्मृति राम की, जीभ राम कौ नाम।
राजत कर जप-माल सुचि, तजे भोग सब काम॥
चरन-पादुका नेह सों पूजत नित अभिराम।
राम-प्रेम-मूरति भरत निवसत नंदीग्राम॥
मन अखंड स्मृति राम की, जीभ राम कौ नाम।
राजत कर जप-माल सुचि, तजे भोग सब काम॥