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चान्दी धमक जोखे गौर वरणमा / भवप्रीतानन्द ओझा

शिव-वन्दना

चान्दी धमक जोखे गौर वरणमा
पाँचहु मुखें विहुसान हो, रामा
तीन-तीन करि शोभे पनर नयनमा
लीलारें जे चन्द्र भगवान हो
सोना सरी जटा में गंगा हीरा जोखें झलके
नाग मुकुट शोभामान हो
ब्रह्म कपाल माला गले जे विराजे
धतुरा के फुलें शोभे कान हो
चारि भुज कोटि सूरज तेज अगें
शीतल काटि चन्द्र समान हो
भंगिया के रंगी गिरजा अरधंगी
संगे नन्दी भृंगी द्वारवान हो
बैठत पद्मासने समे देवे सेवे
दाँड़ाँ बाघ-छाल लपटान हो
चरण कमलें जे मधु के आसे धावे
भवप्रीताक भौंरा पराण हो।