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{{KKRachna
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|अनुवादक=|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
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{{KKCatGhazal}}
घर आया है फौजी, जब से थमी है गोली सीमा पर
देर तलक अब छत के ऊपर सोती तान मसहरी धूप
</poem> (मासिक हंस-सितम्बर 2009, लफ़्ज़-सितम्बर 2011)
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