Last modified on 28 मई 2011, at 00:15

छोड़ दो थोड़ा-सा दूध थनों में / प्रणय प्रियंवद

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:15, 28 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह= }} <poem> छोड़ दो थोड़ा-सा द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


छोड़ दो थोड़ा-सा दूध थनों में

गायों के बच्चों के लिए
पेड़ में कुछ टहनियां छोड़ दो
नई कोपलों के आने के लिए
थोड़ी-सी हवा छोड़ दो
गर्भवती स्त्रियों के लिए
थोड़ा सा जल
मछलियों के लिए

थोड़ा-सा कागज
और रोशनाई थोड़ी-सी
पहली बार प्रेम करने वाली
लड़कियों के लिए।