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'''लेखन वर्ष: 2003२००३/२०११'''
जबीने-माह <ref>चाँद के चेहरे पर</ref> पर गेसू <ref>ज़ुल्फ़</ref> की लहर याद आती हैवह गुलाबी ख़ुशरंग शामो-सहर <ref>शाम और सुबह</ref> याद आती है
जिसने हमें रंगे-ज़िन्दगी <ref>ज़िंदगी के रंग</ref> का दीवाना दिवाना कर दियावह वो उसकी तेज़ क़ातिल तीरे-नज़र याद आती है
एक नीली शाल में लिपटी बैठी रहती थी जब तुमवह सर्दियों की गर्म गुनगुनी दोपहर याद आती है
जिसे तुमने घर आके भी न पढ़ा मेरी आँखों में
आज वह फ़ुग़ाँ <ref>दर्द भरा रुदन</ref> वह आहे-कम-असर <ref>जिस आह का कोई असर न हो</ref> याद आती है
मुझपे बाइस <ref>कारण,वजह</ref> नहीं खुलता तुम से तुमसे बिछड़ जाने काआज भी वह पहला प्यार वह उमर याद आती है
'''शब्दार्थ:जबीने-माह पर: चाँद के चेहरे पर, फ़ुगाँ: दर्द भरा रुदन, बाइस: कारण{{KKMeaning}}
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