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जहाँ गरीबी में भी आबिहों आदमियत तेॅ जिंदा छै / दिनेश बाबा

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जहाँ गरीबी में भी आबिहों आदमियत तेॅ जिंदा छै
सुख के स्वाद चखैवाला ही बेसी मतर दरिंदा छै

लेनें तमंचा कारतूस जे घुमै छै हाट बजारोॅ में
होकरा लेॅ हर आम आदमी केवल एक परिंदा छै

आज यहाँ घुसपैठ होय गेलै केवल गुंडागर्दी के
लगै छै कि है संविधान पर करिया रंग के बिंदा छै

जीत अगर होय होकरे हरदम जे सत्ता पर छै काबिज
जनादेश के सच्चाई तबेॅ लगै छै कि शर्मिंदा छै

सच्चाई तेॅ छेकै यही कि लोकतंत्र के देश छै भारत
बैठै छै सरकार वही जे बेशक यहाँ चुनिंदा छै

”बाबा“ नाज करै गुरबत पर फख्र अंगिका हिन्दी पर
नमन यहाँकरोॅ लोगोॅ केॅ जे भारत के बाशिंदा छै।