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जिह्वा के मम अग्र भाग पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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जिह्वा के मम अग्रभाग पर रहे विराजित राधा-नाम।
मेरी आँखों के समुख नित रहे राधिका-रूप ललाम॥
कानोंमें नित रहे गूँजती राधा-कीर्ति-कथा अभिराम।
बना रहे श्रीराधा का गुण-गण-चिन्तन मन अविराम॥