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जीवन / कीर्ति चौधरी

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भरमते रहे
प्यासे अौर और निरीह
उस झरने की खोज में
जो अंदर था
बंद अौर और ठहरा हुआ
उसे अपने को दिया नहीं
माँगते मांगते रहे प्यार अौर और आश्वासन
कृपण हो गए हैं लोग
बीत गई उमर
अौर और एक अदद जीवन
यों ही बिना जिए
अंदर से भरा
अौर और ऊपर से रिक्त ।
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