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झापी धर्या बेटा कपड़ा रे भाई / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाओ नऽ बारी घर के पान सारे रे
मंगत की बिड़ल होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
चंदन का पलखा पऽ जाजम बिछाई रे भाई।।
मंगत की बैठक होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गाँवज गाँव का सखा आया रे भाई
मंगत की भई रे पुकार, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।

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