Last modified on 14 जुलाई 2014, at 20:07

झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण / हरियाणवी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:07, 14 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

झूठ तै मैं बोलूं कोन्या झूठ की म्हारै आण
पानीपत के टेसण ऊपर मींडक बांटै बाण
एक अचंभा मन्नै सुण्या यो कुत्ता कपडणे धोवै
ओबरै में म्हैस जुगालै ऊंट पिलंग पै सोवै
झूठ तै मैं बोलूं कोन्या...
कीड़ी मरी पहाड़ पै खींचण चले चमार
दो सै जोड़ी जूती बणगी सांटै कई हजार
झूठ तै मैं बोलूं कोन्या...
कुतिआ चाली बिजार में गलै बांध के ईंट
बिजार के बणिए न्यूं उठ बोलैं ताई लता लेगी क छींट
झूठ तै मैं बोलूं कोन्या...