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अगर कोई मुझसे कहतापूछता,
‘तुम्हें आज शाम को मरना है यहीं,
लिहाजा दरमियानी वक़्त में तुम क्या करोगे ? 
मैं कहता, क़लाई घड़ी देखूँगा,
एक गिलास जूस पियूँगा
और दोपहर तक डेस्क पर काम करूँगा, बग़ैर
इसकी परवाह किए कि अल्फ़ाज़ की रंगत है
सफ़ेद-यक्दम सफ़ेद
अपना आख़िरी खाना तैयार करूँगा
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