Last modified on 27 जनवरी 2015, at 12:37

डूब चलो दिन माय साझ भई मदिर मे / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 27 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

डूब चलो दिन माय, सांझ भई मंदिर में।
काहे के मैया दियला बने हैं
काहे की डारी जोत। सांझ भई मंदिर में
सोने के मैया दियला बने हैं,
रूपे की डारी जोत। सांझ...
कौन सुहागन दियरा जारें,
कौना ने डारी जोत। सांझ...
सीता सुहागन दियरा जारे,
रामा ने डारी जोत। सांझ...
कहां बनी मैया तोरी मडुरिया,
कौना भयो रखवार, सांझ...
ऊंचे पहाड़ मैया बनी मडुरिया,
लंगुरा भये रखवार। सांझ...
सुमिर-सुमिर मैया तोरे जस गाऊं,
चरणन की बलिहार। सांझ...