Last modified on 15 अक्टूबर 2013, at 15:16

तन में मस्ती, मन में मस्ती / कल्याणसिंह राजावत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:16, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फागण आयो, फागण आयो
गूंजै धूम धमाल रे
तन में मस्ती, मन में मस्ती
गळियां उडै गुलाल रे।

छैला अलबेला मदगैला
रंग-रेलां री लार है
हेलां पर हेला देवै
अधगैला देवै बारंबार है।
आ रे आज्या संग रा साथी
होज्या लालम लाल रे
तन में मस्ती, मन में मस्ती
गळियां उडै गुलाल रे।

गोरी गोरी करै ठिठोली
होवै जोरा-जोरी रे
हर कोई भोळो कान्हो लागै
हर कोई राधा गोरी रे।
रंग उड़ातां, चंग बजातां
मिटसी मनां मलाल रे
तन में मस्ती, मन में मस्ती
गळियां उडै गुलाल रे।