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मौत के भी उडे हैं अक्सर होश<br>
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जिन की तामीर इश्क करता है<br>
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इन्ही तिनकों में देख ऐ बुलबुल<br>
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बिजलियां भी हैं आशियानों में<br><br>
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नातवान = कमजोर<br>
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कोई सोचे तो फ़र्क कितना है
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हुस्न और इश्क के फ़सानों में
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मौत के भी उडे हैं अक्सर होश
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ज़िन्दगी के शराबखानों में
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जिन की तामीर इश्क करता है
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कौन रहता है उन मकानों में
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इन्ही तिनकों में देख ऐ बुलबुल
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बिजलियां भी हैं आशियानों में
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नातवान = कमजोर
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18:11, 25 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण

थरथरी सी है आसमानों में
जोर कुछ तो है नातवानों में

कितना खामोश है जहां लेकिन
इक सदा आ रही है कानों में

कोई सोचे तो फ़र्क कितना है
हुस्न और इश्क के फ़सानों में

मौत के भी उडे हैं अक्सर होश
ज़िन्दगी के शराबखानों में

जिन की तामीर इश्क करता है
कौन रहता है उन मकानों में

इन्ही तिनकों में देख ऐ बुलबुल
बिजलियां भी हैं आशियानों में

नातवान = कमजोर