Last modified on 8 जून 2016, at 03:14

दल के बिन तेॅ जानले-प्रजातंत्र ही शेष / अमरेन्द्र

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:14, 8 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=कुइया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दल के बिन तेॅ जानले-प्रजातंत्र ही शेष
दलगत मेँ पड़लोॅ फिरै-हमरोॅ भारत देश
हमरोॅ भारत देश, कहै छौं बात ई सच-सच
शासन रोॅ कीचड़ मेँ दल रोॅ पिल्लू खच-खच
होतै आरो देश जहाँ पर होतै दू दल
अमरेन्दर अपनोॅ देशोॅ में दल रोॅ दलदल।