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दिल्ली / श्वेता राय

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भारत की पटरानी प्यारी, वैभववाली दिल्ली।
अंगारों पर लिखे कहानी,गौरवशाली दिल्ली॥

इसके उपवन में हर मौसम,खूब बहारें छाईं।
इसके यौवन ने आँगन में, तलवारें भी लाईं॥
कभी गुजरते तूफानों से, चीखी ये चिल्लाई।
कभी मधुर स्मित अंकन पा, झूम झूम इतराई॥
इतिहासों में अजर अमर है, मतवाली ये दिल्ली।
अंगारो पर लिखे कहानी, गौरवशाली दिल्ली॥

याद कहाँ कितने लोगों ने, कितना इसको लूटा।
पीकर इसके रूप की हाला,छोड़ गये सब टूटा॥
ले दिनकर का तेज खिली वो, ज्वार लिए तरुणाई।
महिधर का अभिमान अडिग वो,चँदा की अंगड़ाई॥
स्वंय शीश पर लिए पताका, महिमाशाली दिल्ली।
अंगारों पर लिखे कहानी, गौरवशाली दिल्ली॥

इंद्रप्रस्थ है नाम पुरातन, अभिमानो से पोषित।
सुंदरता ऐसी थी उसकी, रही सदा ही शोषित॥
युमना भी बहती है कल कल,आंसू उसके पी कर।
गण की बनी विधाता है अब, बंधन में वो जी कर॥
सम्मोहन का मंत्र लिए है, कंचनथाली दिल्ली।
अंगारो पर लिखे कहानी, गौरवशाली दिल्ली॥