Last modified on 16 फ़रवरी 2017, at 11:28

दूध वाले भैया / रमेश तैलंग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दूध वाले भैया! बता दो बस इतना।
दूध में पानी मिलाते हो कितना?

जमती नहीं थोड़ी-सी भी मलाई,
आकर कभी देख लो तुम ही भाई,
टोके तुम्हें कोई हर दिन तो कितना?

बतलाओगे जो अगर सच्ची-सच्ची,
होगी न अम्माँ से फिर माथा-पच्ची,
अच्छा नहीं होता झगड़ा भी इतना।

माना बढ़ी है इधर कुछ महँगाई,
फलती है ईमान की पर कमाई,
गड़बड़ घोटाला करो जी न इतना।