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दूर देश वतन से आई रानी ऐसे शासन कर पाई।
राजकुमार बड़ा होने तक राजा का गुड्डा लाई।
दोनों में से जिसको चाहो अपनी मर्जी से चुन लो,
इक विकल्प एक तरफ है अंधकूप औ’ दूजा है तो एक तरफ गहरी खाई।
हाथी पर बैठी रानी को देख न पाई जब जनता, राजकोष राज ख़ज़ाना खाली कर अपनी निज ऊँची मूरत बनवाई।
थी सदियों की आदत सह लेना वंशों का दुःशासन,
बाप गया तो जनता बेटे को सत्ता में ले आई।
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