दूर वतन से आई रानी ऐसे शासन कर पाई।
राजकुमार बड़ा होने तक राजा का गुड्डा लाई।
दोषी कैसे हो सकता है अच्छे पापा का बेटा,
मम्मी का प्यारा बच्चा वो सुंदर बहना का भाई।
दोनों में से जिसको चाहो अपनी मर्जी से चुन लो,
एक तरफ है अंधकूप तो एक तरफ गहरी खाई।
हाथी पर बैठी रानी को देख न पाई जब जनता,
राज ख़ज़ाना खाली कर निज ऊँची मूरत बनवाई।
थी सदियों की आदत सह लेना वंशों का दुःशासन,
बाप गया तो जनता बेटे को सत्ता में ले आई।