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नहीं ख़त्म भी हो सफ़र चलते-चलते / गुलाब खंडेलवाल
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20:05, 30 जून 2011
तुम्हें देख लें भर नज़र चलते-चलते
अभी तो बहुत दूर थी दिल की
मंजिल
मंज़िल
रुके क्यों क़दम राह पर चलते-चलते
Vibhajhalani
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