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नहीं चाहती दुःख मिटाना / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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नहीं चाहती दुःख मिटाना, नहीं चाहती मैं आराम।
सुख से सहन कर सकूँ, मुख से जपती रहूँ तुम्हारा नाम॥
तुम्हें न भूलूँ कभी, सदा सब में देखूँ लीला अभिराम।
जीवन-मरण, कुशल-‌अकुशल में देखूँ तुमको भरे तमाम॥