Last modified on 9 जून 2016, at 03:49

पर्वत / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:49, 9 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

की पहाड़, की गिरि, पर्वत
सबके एक्के एक अरथ।
मूधर कहौ कि शैल, अचल
आकि नग ही कहोॅ अटल।
महीधर, भूमिधरो सब एक्के
भले रहेॅ सब हक्के-बक्के।
ई पहाड़ धरती के प्राण
नदी-वृक्ष केॅ दै छै त्राण।
मेघोॅ के घर ई पर्वत
आय वही छै क्षत-विक्षत।
कंकरीट रं शैल लगै
धूल बनी केॅ मैल लगै।
झरना के सूखै छै प्राण
बिन पहाड़ के देतै त्राण।