Last modified on 27 जनवरी 2015, at 15:26

पिया हो गये तबाह सट्टा हार के फिरन लगे हाथ झार के / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:26, 27 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पिया हो गये तबाह सट्टा हार कें, फिरन लगे हाथ झार कें
सबरी मिटा गृहस्थी डारी,
घर में बचे न लोटा थारी, रोवे लड़कन की महतारी।
गहना जेवर सब लै गए उतार कें फिरन लगे...
रुपया पैसे सबरे हारे, लड़का बिटिया फिरें उघारे,
अब तो फिरें हाथ पसारे।
खाना खरचा खों बल पे उधार कें। फिरन लगे...
हम तो समझा समझा हारे, करजा ऊपर से कर डारे,
उलझन में हैं प्राण हमारे।
कछु घर में न बचो सब हार के। फिरन लगे...
अच्छे-अच्छे सब पछतावें, सट्टा जुआं से पार न पावें,
सबकी नजरन से गिर जावें।
काम करियो तुम सोच विचार के। फिरन लगे हाथ झार के।
पिया हो गये तबाह...।