पीड़ा पकड़े चले पंथ पर
पानी-
पवन-
प्रलाप भोगते;
आगे-पीछे-दायें-बायें
ठौर ठिकाना-
जगह टोहते;
सत् का
‘पहुँचा’ पकड़ ना पाए;
सत् के सम्मुख खड़े बँबाए।
रचनाकाल: १९-०२-१९७९
पीड़ा पकड़े चले पंथ पर
पानी-
पवन-
प्रलाप भोगते;
आगे-पीछे-दायें-बायें
ठौर ठिकाना-
जगह टोहते;
सत् का
‘पहुँचा’ पकड़ ना पाए;
सत् के सम्मुख खड़े बँबाए।
रचनाकाल: १९-०२-१९७९