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पीड़ा पकड़े चले पंथ पर / केदारनाथ अग्रवाल

पीड़ा पकड़े चले पंथ पर
पानी-
पवन-
प्रलाप भोगते;
आगे-पीछे-दायें-बायें
ठौर ठिकाना-
जगह टोहते;
सत् का
‘पहुँचा’ पकड़ ना पाए;
सत् के सम्मुख खड़े बँबाए।

रचनाकाल: १९-०२-१९७९