Last modified on 13 नवम्बर 2020, at 15:48

प्यासे भौंरों को अमराई देता हूँ / डी. एम. मिश्र

प्यासे भौंरों को अमराई देता हूँ
तपते मौसम को पुरवाई देता हूँ

शिद्दत से महसूस करो उनकी पीड़ा
दिल वालों को पीर पराई देता हूँ

ख़्वाबों में तो मेरा आना-जाना है
कैसे कहते हो तन्हाई देता हूँ

जो क़ुर्बान वतन पर अपने हो जाते
उनको मैं सौ बार बधाई देता हूँ

रोक न पाया कोई जाने वाले को
नम आँखों से मगर विदाई देता हूँ

उनके आगे बस रख दिया था आईना
दुश्मन जैसा उन्हें दिखाई देता हूँ