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प्रश्नों को हैं सूलियाँ मूल्यों को वनवास / शिव ओम अम्बर

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प्रश्नों को हैं सूलियाँ मूल्यों को वनवास,
प्रतिभाओं के भाग्य में है निर्जल उपवास।

बस्ती की हर आँख में है अश्कों की भीड़,
मुस्कानों से शून्य हैं अधरों के आवास।

बिखरे हैं कालिख सने वर्तमान के पृष्ठ,
संग्राहलयों में सजा है स्वर्णिम इतिहास।

शापग्रस्त हैं इन दिनो शाकुन्तल के श्लोक,
निःश्वासें भर शेष हैं कालिदास के पास।