भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्ची की फ़रियाद / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:17, 8 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो, मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पाप धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा।
मुझे मत मारो अंकल, दुखता है।
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हैं इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल,
अभी नवरात्रि में
मुझे लाल चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने।
तुम्हें क्या चाहिए अंकल, ले लो मेरे चेन,
घड़ी, टॉप्स, पायल और चाहिए तो ला दूँगी
अपनी गुल्लक, जिमसें ढेर सारे रुपए हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूँगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये सब मत करो
माँ कहती है-ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे, वरना भगवान जी को बुलाऊँगी
टीचर कहती है-भगवान बच्चों की बात सुनते हैं।
अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,
वहाँ कोई इन्सान भी न था।