Last modified on 20 मार्च 2015, at 17:21

बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा / पँवारी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:21, 20 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
आम-शाम की झोपड़ी
सूर्या मुख द्वार रे बन देवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।