पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
आम-शाम की झोपड़ी
सूर्या मुख द्वार रे बन देवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
बता मऽरा बीरनऽ को द्वार रे बनदेवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।
आम-शाम की झोपड़ी
सूर्या मुख द्वार रे बन देवा
गौवा चराऊ मखऽ नींद नी आवय।।