हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बनड़े की घोड़ी बिदकै मेरा कलेजा धड़कै
सीस बने के सेहरा, लड़ियां से लाल लटकै
गले बने के तोड़ा, घूण्डी से लाल लटकै
हाथ बने के घड़ियां, कांगणे सै लाल लटकै
पैर बने के जूता, चलगत से लाल लटकै
हेठ बने के लीला, चाबुक से लाल लटकै
गैल बने के बनड़ी, जोड़ी से लाल लटकै