बनवासी किये सुक पीठ निवासी ,
तुनीर जो बीर बिलासिका है ।
तिल सून प्रसून हू खेत गिरे ,
गुहा सेवक सिद्धि निवासिका है ।
भ्रुव तेग सुनैन के बान जिये ,
मति बेसर के सम पासिका है ।
बहु भावन की परकासिका है ,
तुव नासिका धीर बिनासिका है ।
रीतिकाल के किन्हीं अज्ञात कवि का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।