राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सामली भीत्या मांड्या जी बिंदायक, कूल जी मंडी फूतली जी,
फूतली खीज्यो बिंदायक जी री नार तो, ज्यां घर बरद उतावली जी,
फूतली खीज्यो चांद सूरज जी री नार तो वार सवागण फूतली जी,
सामली भीत्या मांड्या जी बिंदायक कूल जी मांडी फूतली जी,
फूतली खीज्यो... जी री नार तो वार सवागण फूतली जी,
सामली भीत्या मांड्या जी बिंदायक कूल जी मांडी फूतली जी,
फूतली खीज्यो... जी री नार तो वार सवागण फूतली जी
नोट- बिंदायक जी की जगह सभी देवताओं के नाम और खाली जगह में सभी घर वालों के नाम लें।