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बिना उनवान-2 / ईश्वर आँचल

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आसमानु तारनि सां सारो झिंझियलु
निंडमय संसारु हो
ख़ामोश हो वायूमंडलु, चौतरफ़
सागर मिसल अंधकारु हो फहिलियल विशाल
जंहिं जे सीने ते
सितारनि जूं थे नौकाऊं तरियूं
दूर ते मायुस माण्हुनि जियां
खड़ा दरख़त हुआ
वाउ जे झोंके सां लरज़ी थे
पननि सर सर कई,
हल्को हल्को धीमो धीमो
आसमान बेठे रुनो
भूंड जे सीने ते
दाग़नि जियां हुआ जल जा दुॿा
दूर खां ॼणु झिलमिलाए
थे ॿरियूं बरक़ी बतियूं!

हीअ सृष्टि आदमीअ जहिड़ी
पुराणी थी वेई आ
मौत उन खे ठपे ठाहे
वरी डाहे रहियो आ।
रूप-रेखा हिन जॻत जी
आद खां साॻी रही आ।